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हिंदी कहानियां - भाग 42

बादशाह अकबर को बीरबल के सामने चुनौतियाँ रखने की आदत थी। उसके बुद्धिमतापूर्ण समाधान से अकबर चकित रह जाते थे और उसकी बुद्धि की प्रशंसा किया करते थे। एक बार बादशाह अकबर ने बीरबल के समक्ष एक विचित्र निवेदन रखा। वे बोले “बीरबल, मैं चाहता हूँकि तुम दो प्राणियों को लाओ। एक प्राणी ऐसा हो, जो बहुत कृतज्ञ हो तथा हर क्षण अपनी कृतज्ञता को प्रकट करता रहे तथा उसके बदले कुछ भी करने को तैयार हो। और दूसरा वह जो अपने ऊपर किए गए एहसान को माने, परन्तु कभी संतुष्ट न हो।” “ठीक है, महाराज! कल मैं राज-दरबार में ऐसे दो प्राणियों को लेकर औाऊँगा।” बीरबल ने वायदा करते हुए कहा।


अगले दिन सभी को उत्सुकता थी कि बीरबल दरबार में किसे लेकर आएगा। कुछ समय पश्चात् बीरबल ने दरबार में प्रवेश किया। उसके साथ एक कुत्ता और उनका अपना जमाई (दामाद) था। उसने महाराज को झुककर प्रणाम किया और कहा “महाराज, ये रहे वे दो प्राणी जिनके विषय में आपने कहा था। ” “ठीक है, बीरबल! अब इनके विषय में बताओ।” अकबर ने कहा। “महाराज, यह मेरा पालतू कुत्ता शेरू है। यह बहुत ही कृतज्ञ है। मैं प्रतिदिन इसे मुश्किल से एक रोटी का टुकड़ा देता हूँ। इसके बदले में यह चोरों से मेरे घर की रक्षा करता है। जब मैं काम से लौटकर घर पहुँचता हूँ, तो यह मुझे देखकर खुश हो जाता है। यहाँ तक कि यदि मैं इसे भोजन न भी दूँ, तब भी यह मेरे प्रति वफादार रहता है, जैसे कि सभी कुत्ते वफादार रहते हैं। यदि मनुष्य कुत्ते को केवल एक बार भोजन देने के बाद भगा दे, तब भी कुत्ता उस मनुष्य को याद रखता है। वह उसके प्रति वफादार रहता है और उसका मित्र बन जाता है तथा बाद में भी उसे नहीं भूलता।

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